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चेक बाउंस केस क्या है?
जब कोई व्यक्ति issued cheque dishonour हो जाता है — यानी बैंक “Insufficient Funds” या “Account Closed” लिखकर वापस कर देता है — तो इसे Cheque Bounce कहा जाता है।
भारत में इसे Section 138 of Negotiable Instruments Act (NI Act) के तहत आपराधिक अपराध (criminal offence) माना गया है।
अगर आपने किसी को भुगतान के लिए चेक दिया और वह बाउंस हो गया, तो सामने वाला व्यक्ति आपके खिलाफ केस दायर कर सकता है।
लेकिन अगर केस झूठा या बिना सबूत के है, तो सही रणनीति अपनाकर आप यह केस आसानी से जीत सकते हैं।
चेक बाउंस केस में जीतने के नियम
कोर्ट में cheque bounce case जीतने के लिए निम्नलिखित कानूनी नियम और रणनीतियाँ अपनाना ज़रूरी है:
(1) कानूनी नोटिस की वैधता जांचें
Section 138 के तहत, चेक बाउंस होने के बाद 15 दिनों के अंदर लीगल नोटिस भेजना जरूरी होता है।
अगर नोटिस देर से भेजा गया या गलत पते पर गया है, तो आप इस आधार पर केस खारिज करवा सकते हैं।
(2) चेक देने का कारण साबित करें
अगर आप साबित कर सकें कि चेक loan, security या gift purpose के लिए नहीं बल्कि किसी अन्य वजह से दिया गया था, तो केस कमजोर हो जाता है।
(3) बैंक रिकॉर्ड और ट्रांजेक्शन हिस्ट्री
अपने bank statement, passbook entries और SMS proof सुरक्षित रखें।
अगर बैंक ने गलत जानकारी दी है, तो आप RTI application के माध्यम से बैंक से सारी जानकारी आधिकारिक रूप से प्राप्त कर सकते हैं।
यही जानकारी बाद में आपके पक्ष में मजबूत सबूत बन सकती है।
(4) हस्ताक्षर और इनवॉइस पर ध्यान दें
अक्सर forged signatures या पुराने invoices के आधार पर भी केस फाइल कर दिए जाते हैं।
ऐसे में आप बैंक या पुलिस विभाग से document verification के लिए file online RTI कर सकते हैं।
(5) ट्रायल के दौरान सही बयान
कोर्ट में Section 313 CrPC के तहत जब आपका बयान लिया जाए, तो केवल सत्य तथ्यों पर आधारित उत्तर दें।
झूठ बोलने या गलत जानकारी देने से केस कमजोर पड़ जाता है।
कौन-कौन से सबूत ज़रूरी हैं?
नीचे दी गई सूची में वे सबूत हैं जो कोर्ट में केस जीतने में मदद करते हैं:
| सबूत का प्रकार | महत्व |
|---|---|
| बैंक स्टेटमेंट | दिखाता है कि पैसे का ट्रांजेक्शन हुआ या नहीं |
| चेक की फोटो-कॉपी | यह साबित करने के लिए कि चेक आपका ही था या नहीं |
| लीगल नोटिस की रसीद | भेजने और प्राप्त करने की पुष्टि |
| गवाह का बयान | परिस्थिति स्पष्ट करने में मदद |
| RTI से प्राप्त रिकॉर्ड | निष्पक्ष सरकारी जानकारी जो केस मजबूत करती है |
RTI से कैसे मिलेगी मदद?
बहुत से लोग नहीं जानते कि RTI (Right to Information) के ज़रिए आप bank, police या court records तक official access पा सकते हैं।
🔹 उदाहरण के तौर पर:
अगर बैंक यह कह रहा है कि “पैसे नहीं थे”, तो आप RTI application के माध्यम से पूछ सकते हैं —
“उस दिन खाते में कुल बैलेंस कितना था और कौन-कौन से ट्रांजेक्शन हुए?”
इसी तरह, आप how to file right to information प्रक्रिया के तहत पुलिस से भी पूछ सकते हैं कि
“क्या मेरे खिलाफ कोई FIR या रिपोर्ट दर्ज की गई है?”
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कोर्ट में आम गलतियाँ जिनसे बचना चाहिए
- गलत तारीख पर कोर्ट पहुँचना या अनुपस्थित रहना।
- बिना वकील के बयान देना या दस्तावेज़ पेश करना।
- बैंक या RTI रिकॉर्ड समय पर जमा न करना।
- झूठे गवाह या फर्जी सबूत पर भरोसा करना।
इन गलतियों से न सिर्फ केस कमजोर होता है बल्कि कोर्ट आपको दोषी ठहरा सकता है, जिससे सज़ा या जुर्माना भी लग सकता है।
RTIwala से कैसे मिलेगा Legal Support
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FAQs – चेक बाउंस केस से जुड़े आम सवाल
1. चेक बाउंस केस कितने दिन में खत्म होता है?
आम तौर पर 6 महीने से 2 साल का समय लगता है। लेकिन RTI और सही सबूतों से यह अवधि घटाई जा सकती है।
2. क्या RTI के ज़रिए बैंक रिकॉर्ड हासिल किया जा सकता है?
हाँ, online rti india के तहत आप बैंक से चेक बाउंस से संबंधित जानकारी मांग सकते हैं।
3. अगर नोटिस नहीं मिला तो क्या केस रद्द हो सकता है?
अगर वादी ने सही पते पर नोटिस नहीं भेजा या समयसीमा पार कर दी, तो केस रद्द कराया जा सकता है।
4. क्या RTIwala कोर्ट केस में मदद करता है?
RTIwala direct legal representation नहीं करता, लेकिन RTI-based document collection, first appeal, और evidence support में विशेषज्ञ है।
5. क्या बिना वकील के केस लड़ा जा सकता है?
संभव है, लेकिन जोखिम भरा। इसलिए RTIwala से document support और legal clarity लेना ज़रूरी है।
Conclusion
चेक बाउंस केस में जीतने के नियम जानना जितना ज़रूरी है, उतना ही जरूरी है सही सबूत और रिकॉर्ड प्राप्त करना।
RTI के ज़रिए आप हर बैंक, कोर्ट या पुलिस रिकॉर्ड तक पहुँच सकते हैं — और RTIwala इस प्रक्रिया को आपके लिए तेज़, पारदर्शी और प्रभावी बनाता है।












































